“तुम्हारे पास बहुमत है, पैसा है, ट्रोल है, ताकत है … माई फुट .”

दुनिया का पहला स्वघोषित जीरो टीआरपी एंकर.. पत्रकार, अधूरा कवि, क्वार्टर लेखक, दो बटा तीन ब्लागर जो डर से प्रेरित होकर ड्रेरित काव्य लिखता है. फुर्सत में लप्रेक उगलता है. तारीफों और गालियों के पार जिसका जहाँ कहीं और है।

जो बहुत ज्यादा बोले जाने से ऊबकर, लिपे-पुते चेहरों के साथ मूक अभिनय करवाता है। जो बहुत दिखाए जाने से ऊबकर स्क्रीन काली कर देता है।

मगर इस मूक अभिनय का दृश्य और काली स्क्रीन की आवाज जेहन में जो शोर मचाते है, वह जिस्म के भीतर का स्थाई शोर बन जाता हैं। “बागों में बहार” सा रोमांटिक गीत प्रतिरोध का प्रतीक बन जाता है।

रविश का मजाक समकालीन जर्नलिज्म का इतिहास बन जाते हैं।
●●
जी हाँ। रविश हम सबका मजाक ही बनाते हैं। किसी रिपोर्ट, किसी आंकड़े, किसी रेफरेंस के बाद एक छोटी से कटूक्ति, हिकारत से भरी मुस्कान … और वे तो सरपट जर्नलिज्म के ट्रैक पर लौट जाते है, मगर हम दर्शको की हैसियत और हकीकत के सुनहरे पर्दों पर चाकू चल चूका होता है.

इस चोट से रिसता खून, छोटे स्तर पर गालियों और तारीफों के रूप में बहता है तो बड़े स्तर पर छापों और मेगसेसे के रूप में। मगर जैसा की अपने फेसबुक पेज पर रविश खुद के बारे में लिखते है – “तारीफों और गालियों के पार मेरा जहाँ कहीं और है”।
●●
बहरहाल, रविश को मिला मैग्सेसे अकेले उनकी सफलता नही है। लड़ाई तो एनडीटीवी ने, उनसे भी बड़ी और जबरजस्त लड़ी है। रविश जैसी समस्या को, उसी ९ बजे के स्लॉट में उसी दमखम के साथ बने रहने की सुरक्षा देने का दम, किसी और मीडिया हॉउस में नहीं है। पूण्य प्रसून, विनोद दुआ, परंजय गुहा, अभय कुमार पांडे, उर्मिलेश, अजीत अंजुम जैसे दर्जनों रीढ़ की हड्डी के साथ जीने वाले पत्रकार किसी प्रणव राय जैसे मालिक के अभाव में बियाबान में हैं।

रविश को अपना धन्यवाद उन दर्जनों पत्रकारों को भी देना चाहिए जिन्होंने पत्रकारिता के आकाश में अंधेरा फैला रखा है। किसी और दौर में रविश दर्जनों में एक एंकर होते, मगर आसपास के प्रतिद्वंद्वियों ने अपना अस्तित्व इतना छोटा कर लिया, की रविश उनके मुकाबले सूरज नजर आने लगे।
●●
रविश को हम सबका भी धन्यवाद भी जाना चाहिए, सूरज होने के दायित्व को उन्होंने ओढा, और खुद जलकर रौशनी देते रहे। पिछले छः साल में सूरज होने की जिम्मेंदारी ने उन्हें पन्द्रह साल बूढ़ा बना दिया है। हाँ, मगर उस हिकारत भरी मुस्कान में पन्द्रह गुना धार और आ गयी है।

आज जब वे पलट कर इन गुजरे हुए सालों को देखेंगे तो इन्बॉक्स और व्हाट्सप की हजारों गालियां इस विश्वस्तरीय इज्जत की सीढ़ी प्रतीत होगी।
●●
“गोदी मिडिया” और “व्हाट्सप यूनिवर्सिटी” अभी भी अपने कर्म से हटने वाले नहीं है, तो क्यों कर रविश कुमार भी पथ से डिगे ?

उन्हें अपनी मुस्कान में और हिकारत भर कर कैमरे की ओर उछालते रहना चाहिए. ये हिकारत ही हथियार है इस खंड-खंड होते समाज के अधोपतन से लड़ने का।

ये हिकारत ही हिमाक़त है उस मेजोरिटिज्म के बुलडोजर के सामने तनकर खड़े होने का। आँखों में आंखे डालकर मुस्कान के साथ बताने का-

“तुम्हारे पास बहुमत है, पैसा है, ट्रोल है, ताकत है … माई फुट .”

  • Related Posts

    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    हरियाणा के हिसार जिले के अग्रोहा में सतीश…

    Continue reading
    पहलगाम से सीज़फायर तक उठते सवाल

    अरुण श्रीवास्तव भारत के स्वर्ग कहे जाने वाले…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    पाकिस्तान की चौतरफा घेराबंदी कर रहा है भारत 

    • By TN15
    • May 14, 2025
    पाकिस्तान की चौतरफा घेराबंदी कर रहा है भारत 

    हरौली के होनहारों का कमाल : 12वीं बोर्ड में 100% परिणाम

    • By TN15
    • May 14, 2025
    हरौली के होनहारों का कमाल : 12वीं बोर्ड में 100% परिणाम

    विजय शाह के खिलाफ दर्ज होगा देशद्रोह का मुकदमा ?

    • By TN15
    • May 14, 2025
    विजय शाह के खिलाफ दर्ज होगा देशद्रोह का मुकदमा ?

    सीटू व जन नाट्य मंच ने नाटक के माध्यम से 20 मई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल की तैयारी

    • By TN15
    • May 14, 2025
    सीटू व जन नाट्य मंच ने नाटक के माध्यम से 20 मई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल की तैयारी

    पाकिस्तान ठहरा कुत्ते की दुम, नहीं कर पाएगा सीजफायर का पालन!

    • By TN15
    • May 14, 2025
    पाकिस्तान ठहरा कुत्ते की दुम, नहीं कर पाएगा सीजफायर का पालन!

    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    • By TN15
    • May 14, 2025
    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक