Mental Health Awareness and Training Program : प्रशिक्षण सत्र में शिक्षकों को मानसिक रोगों के लक्षण की पहचान के बारे में बताया
नोएडा। सेक्टर 22 स्थित गांधी स्मारक विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, काउंसलिंग एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम दो सत्रों में चला। प्रथम सत्र में दसवीं कक्षा की छात्राओं को विभिन्न मानसिक रोगों के लक्षण जैसे-अवसाद, चिंता, विकार, फोविया, मनोग्रसित बाध्यता विकार (ओसीडी), सीखने की क्षमता में कमी, मंदबुद्धि, आटिज्म, सीजोफ्रेनिया, बाईपोलर डिसआर्डर के मुख्य लक्षण, पहचान एवं उपचार के बारे में विस्तार से बताया गया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट नीति सिंह ने छात्राओं को मुख्य रूप से परीक्षा को लेकर उत्पन्न तनाव, समय प्रबंधन की तकनीकी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा -परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों को आमतौर पर तनाव हो जाता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा तनाव ठीक नहीं है। परीक्षार्थियों को इससे बचना चाहिये। इसके लिए छात्र-छात्राएं एक दूसरे से बातचीत कर इस तनाव को कम कर सकती हैं। उन्होंने कहा विद्यार्थियों को समय प्रबंधन (टाइम मैनेजमेंट) का भी ध्यान रखना चाहिए। जब समय प्रबंधन रहेगा तो वह बेवजह के तनाव-चिंता से बच सकती हैं।
दूसरे सत्र में विद्यालय के शिक्षकों को भी जीवन कौशल प्रशिक्षण (लाइफ स्किल ट्रेनिंग) एवं विद्यार्थियों में मानसिक रोगों के लक्षण की पहचान करने के बारे में बताया गया। साइकेट्रिस्ट नर्सिंग ऑफिसर सोनी ने शिक्षकों को बताया कि वह हर विद्यार्थी पर नजर रखें, किसी के व्यवहार में परिवर्तन तो नहीं आ रहा। यदि ऐसा नजर आये तो वह तुरंत उस पर ध्यान दें और उसकी समस्याओं को समझने की कोशिश करें। कोशिश करें कि विद्यार्थी अनावश्यक किसी तरह का कोई तनाव नहीं महसूस न करें। चाहे वह पढ़ाई से संबंधित हो अथवा व्यवहार से। उन्होंने कहा – कई बार हमें लगता है कि बच्चा पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहा है, वह जानबूझकर ऐसा कर रहा है, लेकिन हो सकता है वह किसी अवसाद का शिकार हो या मानसिक रूप से बीमार, अथवा माइल्ड मेंटल रिटायर्ड हो।
ऐसी अवस्था में तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। उन्होंने बताया बच्चों में चिड़चिड़ापन, छोटी-छोटी बात पर झल्लाना, रोना, बेवजह डरना आदि मनोविकार के लक्षण हैं। उन्होंने कहा मानसिक बीमारी का उपचार दवा और काउंसलिंग से किया जाता है। मनोचिकित्सक दवा के माध्यम से और साइकोलॉजिस्ट काउंसलिंग के माध्यम से उपचार करते हैं। उन्होंने कहा मानसिक बीमारी भी शारीरिक बीमारी की तरह ही है, यह दवा और काउंसलिंग से ठीक हो जाती है। सोनी ने बताया शिक्षकों को यदि ऐसे लगता है कि किसी भी विद्यार्थी को उपचार की जरूरत है तो वह उसे नोएडा सेक्टर 30 स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय में दिखा सकते हैं। यहां कमरा नं. 24 में प्रत्येक मंगलवार, बुधवार एवं बृहस्पतिवार को जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की ओपीडी होती है।