ल्हासा (एजेंसी)। माओ की सांस्कृतिक क्रांति के बाद से चीन ने लगातार बौद्ध धर्म को निशाना बनाया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल में भी बौद्धों का उत्पीड़न जारी है। चीन तिब्बती आस्था और लोगों को उनकी परंपराओं को बनाए रखने के अधिकार को खत्म करने के मकसद से बौद्ध प्रतिमाओं को नष्ट कर रहा है।
तिब्बती मठ और बौद्ध मूर्तियों किए जा रहे ध्वस्त : न्यूज एजेंसी एएनआई ने तिब्बत प्रेस रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि शी जिनपिंग सरकार ने दिसंबर 2021 से अब तक तिब्बत में तीन बौद्ध मूर्तियों को नष्ट कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में कई जगहों पर तिब्बती मठों को ध्वस्त कर दिया गया है और भिक्षुओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बौद्ध प्रतिमाओं को नष्ट करने का चीन का इरादा तिब्बतियों के विश्वास और तिब्बती परंपराओं को संरक्षित करने के उनके अधिकार को खत्म करना है।
आक्रामक रवैया अपना रहा चीन : रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने हाल के दिनों में आक्रामक रुख अपनाया है क्योंकि तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने साफ तौर पर कहा है कि उनके निधन के बाद उनका अवतार भारत में मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि चीन द्वारा नामित किसी अन्य उत्तराधिकारी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बता दें कि तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी सरकार के उपयुक्त बनाने की कोशिश में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी भारतीय तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रवर्तक के बदले चीनी प्रवर्तक को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
नेपाल में गतिविधि बढ़ा रहा चीन : रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन नेपाल में गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी को विकसित करने में सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है। इसे लेकर चीन नेपाल सरकार को हवाई अड्डा, हाईवे, कंवेंशन सेंटर और बौद्ध विश्वविद्यालय बनाने में तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर से मदद कर रहा है। तिब्बत प्रेस ने बताया है कि चीन भारत में बोधगया के मॉडल पर लुंबिनी को विकसित कर रहा है।