द न्यूज 15
नई दिल्ली । रूस यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में तेजी देखी जा रही है। आज सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार खुलने के साथ ही कच्चे तेल के दाम में भारतीय समय अनुसार सुबह 10 बजे तक 9.25 फीसदी तक की तेजी हुई। 24 फरवरी के बाद यह दूसरा मौका है जब कच्चा तेल एक दिन में 9 फीसदी तक उछला है।
14 साल का तोड़ा रिकॉर्ड: रूस यूक्रेन की मार दुनिया को महंगाई के रूप में झेलनी पढ़ रही है। कच्चे तेल की कीमत ने अपने पिछले 14 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बाजार खुलने के साथ ही कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गया जो 1 अगस्त 2008 के बाद कच्चे तेल का सबसे उच्चतम भाव है। 24 फरवरी को रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद कच्चे तेल के दामों में 40 फीसदी की तेजी देखने को मिली है, जिसमें पहले से ही बढ़ रही महंगाई के खतरे को और बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली । रूस यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में तेजी देखी जा रही है। आज सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार खुलने के साथ ही कच्चे तेल के दाम में भारतीय समय अनुसार सुबह 10 बजे तक 9.25 फीसदी तक की तेजी हुई। 24 फरवरी के बाद यह दूसरा मौका है जब कच्चा तेल एक दिन में 9 फीसदी तक उछला है।
14 साल का तोड़ा रिकॉर्ड: रूस यूक्रेन की मार दुनिया को महंगाई के रूप में झेलनी पढ़ रही है। कच्चे तेल की कीमत ने अपने पिछले 14 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बाजार खुलने के साथ ही कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गया जो 1 अगस्त 2008 के बाद कच्चे तेल का सबसे उच्चतम भाव है। 24 फरवरी को रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद कच्चे तेल के दामों में 40 फीसदी की तेजी देखने को मिली है, जिसमें पहले से ही बढ़ रही महंगाई के खतरे को और बढ़ा दिया है।
185 डॉलर प्रति बैरल होगा कच्चा तेल: रूस दुनिया में अमेरिका के बाद कच्चे तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रूस के युद्ध में जाने के बाद से नाटो देशों के प्रतिबंधों के चलते लगभग 65 फीसदी रूसी कच्चा तेल बाजार में नहीं आ रहा है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल रही है। दिग्गज इन्वेस्टमेंट बैंकर जेपी मॉर्गन के मुताबिक यदि रूस की तरफ से कच्चे तेल की आपूर्ति शुरू नहीं होती है तो फिर इस साल के अंत तक कच्चे तेल की कीमत अपने सबसे उच्चतम स्तर 185 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकती है।
भारत के सामने दोहरी चुनौती: भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी पर कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ना भारत के लिए नकारात्मक है। इससे भारत को पहले के मुकाबले कच्चा तेल खरीदने के लिए अधिक विदेशी मुद्रा का भुगतान करना पड़ेगा और महंगे कच्चे तेल के कारण पेट्रोल डीजल की कीमतों में भी वृद्धि हो जाएगी। पहले से ही बढ़ रही महंगाई की रफ्तार को यह और तेज कर देगा।
दूसरी तरफ यूएस डॉलर के मुकाबले भारत का रुपया में गिरावट हुई है। भारतीय रुपया आज सोमवार सुबह 10:23 बजे अपने 2 साल के सबसे न्यूनतम स्तर 76.84 पर कारोबार कर रहा है। रुपए की विनिमय दर गिरने के कारण अब विदेशों से आयात भारत के लिए महंगा हो जाएगा।
भारत के सामने दोहरी चुनौती: भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी पर कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ना भारत के लिए नकारात्मक है। इससे भारत को पहले के मुकाबले कच्चा तेल खरीदने के लिए अधिक विदेशी मुद्रा का भुगतान करना पड़ेगा और महंगे कच्चे तेल के कारण पेट्रोल डीजल की कीमतों में भी वृद्धि हो जाएगी। पहले से ही बढ़ रही महंगाई की रफ्तार को यह और तेज कर देगा।
दूसरी तरफ यूएस डॉलर के मुकाबले भारत का रुपया में गिरावट हुई है। भारतीय रुपया आज सोमवार सुबह 10:23 बजे अपने 2 साल के सबसे न्यूनतम स्तर 76.84 पर कारोबार कर रहा है। रुपए की विनिमय दर गिरने के कारण अब विदेशों से आयात भारत के लिए महंगा हो जाएगा।