एडीएम को साथ लेकर पहुंचे थे 500 से ऊपर सहारा पीड़ित
अप्रैल में भुगतान की बात कर टाल दिया डीएम ने
आंदोलन की अगुआई कर रहे थे सुनील गुप्ता और राकेश कुमार
चरण सिंह राजपूत
नई दिल्ली/पटना। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिक्रम-पाली के सैड़कों सहारा पीड़ित निवेशक और जमाकर्ताओं ने मिलकर ADM को साथ लेकर पटना जोनल कार्यालय पर धावा बोल दिया। ऑफिस में भुगतान को लेकर काफी हंगामा हुआ। आंदोलनकारियों के ऑफिस पहुंचने के पहले जोनल चीफ का कार्यभार देख रहे विपुल कुमार फरार हो चुके थे।
दरअसल एजेंट सुनील गुप्ता और राकेश कुमार की अगुआई में लगभग 500 निवेशक और एजेंट कल डीएम के पास भुगतान की समस्या को लेकर पहुंचे। डीएम ने इन निवेशकों की बात सुनकर एडीएम को उनके साथ भुगतान कराने के लिए भेजा। जब तक ये लोग पटना जोनल ऑफिस पहुंचे तब तक जोनल चीफ का कार्यभार संभाल रहे विपुल कुमार वहां से रफ्फूचक्कर हो चुके थे।
आंदोलन की अगुआई कर रहे सुनील गुप्ता ने बताया कि हम लोग एकजुट होकर संगठनात्मक रूप से बार-बार जोन पर दबाव बनाने की सोच रहे थे कि सभी ने मिलकर रणनीति बनाई और भुगतान को लेकर पटना जोनल ऑफिस पर जा धमके। सुनील गुप्ता ने आरोप लगाया है कि डीएम ने सहारा प्रबंधन से मिलकर मामले को टालते हुए अप्रैल में भुगतान का करने की बात की है। आंदोलन कर रहे सुनील गुप्ता ने कहा है कि आंदोलन ही डूबी हुई रकम को पाने का रास्ता है। कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ एकमत होकर ठगों और बेईमानों के विरुद्ध सतत सख्त जनांदोलन ही सही रास्ता और सही दिशा है।
दरअसल सहारा इंडिया बाइकबोट, हैलोटैक्सी, टॉपराइड, राधामाधव, पर्ल्स, सहारा इंडिया, आदर्श, कर्मभूमि, कल्पतरू, संजीवनी, नवजीवन, साईं प्रसाद, समृद्ध जीवन, ऑपेश्वर, खेतेश्वर, ट्रिनिटी, स्ट्रीट हॉक्स, ब्ल्यूफ़ॉक्स, विश्वामित्र, शाइन सिटी, फ्यूचर मेकर, कैची पिक्सल, हैलोराइड, गो बाइक, गोवे, हमारा वाहन, हलधर, बीएफसी, श्योर गेन, प्रिया, रामेल, ग्लोबल स्टार, विश्वास ट्रेडिंग, किसान एग्रो, लोकहित का या किसी और ठग कम्पनीज या सोसाइटी के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन चल रहा है। पीड़ित निवेशकों का कहना है कि जल्द ही ठग सुब्रत राय, मितेश अग्रवाल, राशिद नसीम समेत जेल में भी होंगे और सबका भुगतान भी होगा।
निवेशकों का कहना है कि सहारा इंडिया में पीड़ित एफआईआर तो करवा रहे हैं किंतु सुप्रीम कोर्ट में मूल याची वह भी नहीं हैं। आदर्श के मामले में भी यही चल रहा है, राधामाधव, ब्ल्यूफ़ॉक्स, कर्मभूमि, कल्पतरू, संजीवनी, नवजीवन, ऑपेश्वर खेतेश्वर, हलधर साईं प्रसाद, ट्रिनिटी, समृद्ध, जीवन बगैरा बगैरा की स्थिति भी कमोबेश यही है।
सहारा पीड़ितों का कहना है कि ठगों की रणनीति सदा जमाकर्ताओ को आपस में लड़ाने की और गुमराह करने रही है। वादे भरोसा देने की रहती है। लालची और बिकाऊ किस्म के जमाकर्ता, एजेंट्स ठगों के झांसे बहकावे प्रलोभन में आकर आमतौर पर ठगों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। ठगों के हाथ के खिलौने बन जाते हैं और पूरी कानूनी प्रक्रिया को बाधित करते हुए ठगों को बचाने का काम करते हैं।
निवेशकों का कहना है कि ठगों ने पीड़ितों को जल्दी भुगतान का झांसा देने के लिए अपने दल्लों से सोसाइटी ट्रस्ट ऑर्गनाइजेशन एसोसिएशन बनवाये और जल्द भुगतान का लालच देकर पीड़ितों में बिखराव पैदा किया ताकि न पीड़ित एफआईआर दर्ज कराएं न रिकवरी फाइल कर पाएं तीन साल तक। हालांकि ठग अपनी कोशिश में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं किन्तु उन्होंने पीड़ितों को बड़ी संख्या में गुमराह तो कर ही दिया है और जो लोग जो यूनियन पीड़ितों के लिए लड़ रही थीं, उसके काम में बार बार बाधा उत्पन्न की गई।
निवेशकों ने कहा है कि आदर्श के मामले में यही हुआ आज तक पीड़ितों का धन वापस करवाने के लिए कोई याचिका प्रस्तुत नहीं की गई बल्कि जो ठगों के दल्ले थे वह पीड़ितों को गुमराह करते रहे कि आदर्श जल्दी ही रेगुलेट हो जाएगी और आपका भुगतान कर देगी, पीड़ितों के चंदे से ही आदर्श के दलालों ने आदर्श के ठगों के बचाव में हाईकोर्ट में याचिकाएं प्रस्तुत कीं वह अलग बात है ठगों के दलाल उतने कामयाब नहीं हो पाए जितनी उनकी कामना थी।
कई ठग सफल रहे पीड़ितों को तीन साल तक कानूनी कार्रवाई से दूर रखने में, कम्पनी सोसाइटी संस्था बन्द होने के या मैच्योरिटी पूरी होने के तीन साल बाद तक आप भुगतान मांगें ही नहीं तो फिर भुगतान की उम्मीद बहुत कम हो जाती है। इसलिए तीन साल से पूर्व समस्त पीड़ितों जमाकर्ताओ को भुगतान के लिए कानूनी कार्रवाई अवश्य करनी चाहिए।
निवेशकों ने कहा है कि कानून क्या होता है कैसे काम करता है यह जानकारी होना भी बहुत जरूरी है। ज्यादातर ठगी मामलों में जिन कानूनों के तहत एफआईआर या परिवाद दर्ज हुए हैं वह टाइम बाउंड नहीं हैं। जो कानून समयबद्ध नहीं हैं उनमें दो चार साल में बलात्कारी और हत्यारों तक को दण्ड नहीं मिलता तो ठगों को कैसे मिलेगा ? जब दण्ड नहीं मिलेगा तो किसी जमाकर्ता या पीड़ित का भुगतान कैसे होगा ? यह दो प्रश्न अति महत्वपूर्ण है। उस प्रश्न से भी जो आमतौर पर पीड़ित या जमाकर्ता पूछते हैं कि उनका पैसा कब मिलेगा देरी क्यों हो रही है ?
आंदोलन कर रहे एजेंटों का कहना है कि सबका पैसा मिल सकता है, बशर्ते सब अपनी-अपनी कानूनी कार्रवाई ठीक से करें और साथ में जन आंदोलन भी करें। बिना आंदोलन और बिना क़ानूनी कार्रवाई किये बिना डूबी हुई रकम नहीं मिलने वाली है। किसी भी ठगी पीड़ित जमाकर्ता को कभी ठगों के पक्ष में खड़ा नहीं होना चाहिए, किसी भी ठग कम्पनीज या सोसाइटी के मैनेजमेंट को पीड़ित ही ईमानदार, देशभक्त कानूनी घोषित कर देंगे। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराएंगे उसे दण्ड देने की मांग नहीं करेंगे तो भुगतान नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक कहावत प्रचलित है कि पुलिस कार्रवाई से पैसा वापस नहीं मिलता, यह अर्ध सत्य है, पूरा सच यह है कि भले ही दो चार ही हों, एफआईआर अवश्य दर्ज होनी चाहिए, पीड़ितों की तरफ से ठगों के खिलाफ तभी भुगतान में शीघ्रता होती है भुगतान मिलता है।
यदि ठगों को खुला छोड़ोगे, उनके दल्लों के बहकावे में आकर उनके पक्ष में खड़े हो जाओगे या मौन रह जाओगे, तमाशबीन बन जाओगे तो आपकी स्थिति पर्ल्स और सहारा पीड़ितों से बेहतर कभी नहीं हो सकती, दशकों लड़ते भागते जूझते रहना भुगतान नहीं होगा। भुगतान जल्दी पाना है तो ठगों के खिलाफ दंडात्मक, सामाजिक, और भुगतान की कार्रवाई अवश्य करें।
अनियमित जमा योजनायें पाबंदी कानून 2019 से किसी भी ईमानदार एजेंट एडवाइजर साथी को घबराने डरने की जरूरत नहीं है, हां जो बेईमान हैं जो प्रॉपर कानूनी कार्रवाई न करके जमाकर्ताओं को झूठे आश्वासन दे रहे हैं। ठगों के पक्ष में खड़े हैं उन्हें जरूर डरना चाहिए क्योंकि वह तो इस कानून के तहत जेल जाएंगे ही किन्तु जो एडवाइजर एजेंट्स मैनेजर फ्रैंचाइजर ठगों के विरुद्ध लड़ेंगे लड़ रहे हैं अपने जमाकर्ताओ को सच बता रहे हैं स्वयं सत्य बोल रहे हैं उन एजेंट्स एडवाइजर फ्रैंचाइजर को अनियमित जमा योजनायें पाबन्दी कानून 2019 में संरक्षण मिलेगा और उनका उनके जमाकर्ताओ का भुगतान भी सबसे पहले वापस मिल जाएगा।
इसलिए साथियो सबसे पहले उन एजेंट्स एडवाइजर और फ्रैंचाइजर का बहिष्कार करो जो आपको गुमराह कर रहे हैं कि आदर्श सहारा या कोई भी अन्य कम्पनी सोसाइटी दोबारा चालू हो जाएगी या वह ईमानदार थी उन्हें एजेंसीज द्वारा सताया जा रहा है, जिन ठगों के साथ स्वयं प्रधानमंत्री, गृहमंत्री मुख्यमंत्री फोटो खिंचवाते गर्व महसूस करते थे, उन ठगों के खिलाफ कोर्ट या कानून सख्त हुआ है तो निश्चित रूप से ठगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ठगी के सबूत मिले हैं।
आंदोलनकारियों ने आह्वान किया है कि तमाम 20 करोड़ ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार अब एकजुट होकर कानूनी कार्रवाई भी करनी होगी। आंदोलन भी करो, ठगों की ठगों के दल्लों की निंदा भी करो, इनकी शवयात्राएँ निकालो, पुतले जलाओ, धरना प्रदर्शन सत्याग्रह भी करो ताकि ठग प्रजाति खुली हवा में सांस न ले सके।
निवेशकों ने कहा है कि आदर्श के मामले में यही हुआ आज तक पीड़ितों का धन वापस करवाने के लिए कोई याचिका प्रस्तुत नहीं की गई बल्कि जो ठगों के दल्ले थे वह पीड़ितों को गुमराह करते रहे कि आदर्श जल्दी ही रेगुलेट हो जाएगी और आपका भुगतान कर देगी, पीड़ितों के चंदे से ही आदर्श के दलालों ने आदर्श के ठगों के बचाव में हाईकोर्ट में याचिकाएं प्रस्तुत कीं वह अलग बात है ठगों के दलाल उतने कामयाब नहीं हो पाए जितनी उनकी कामना थी।
कई ठग सफल रहे पीड़ितों को तीन साल तक कानूनी कार्रवाई से दूर रखने में, कम्पनी सोसाइटी संस्था बन्द होने के या मैच्योरिटी पूरी होने के तीन साल बाद तक आप भुगतान मांगें ही नहीं तो फिर भुगतान की उम्मीद बहुत कम हो जाती है। इसलिए तीन साल से पूर्व समस्त पीड़ितों जमाकर्ताओ को भुगतान के लिए कानूनी कार्रवाई अवश्य करनी चाहिए।
निवेशकों ने कहा है कि कानून क्या होता है कैसे काम करता है यह जानकारी होना भी बहुत जरूरी है। ज्यादातर ठगी मामलों में जिन कानूनों के तहत एफआईआर या परिवाद दर्ज हुए हैं वह टाइम बाउंड नहीं हैं। जो कानून समयबद्ध नहीं हैं उनमें दो चार साल में बलात्कारी और हत्यारों तक को दण्ड नहीं मिलता तो ठगों को कैसे मिलेगा ? जब दण्ड नहीं मिलेगा तो किसी जमाकर्ता या पीड़ित का भुगतान कैसे होगा ? यह दो प्रश्न अति महत्वपूर्ण है। उस प्रश्न से भी जो आमतौर पर पीड़ित या जमाकर्ता पूछते हैं कि उनका पैसा कब मिलेगा देरी क्यों हो रही है ?
आंदोलन कर रहे एजेंटों का कहना है कि सबका पैसा मिल सकता है, बशर्ते सब अपनी-अपनी कानूनी कार्रवाई ठीक से करें और साथ में जन आंदोलन भी करें। बिना आंदोलन और बिना क़ानूनी कार्रवाई किये बिना डूबी हुई रकम नहीं मिलने वाली है। किसी भी ठगी पीड़ित जमाकर्ता को कभी ठगों के पक्ष में खड़ा नहीं होना चाहिए, किसी भी ठग कम्पनीज या सोसाइटी के मैनेजमेंट को पीड़ित ही ईमानदार, देशभक्त कानूनी घोषित कर देंगे। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराएंगे उसे दण्ड देने की मांग नहीं करेंगे तो भुगतान नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक कहावत प्रचलित है कि पुलिस कार्रवाई से पैसा वापस नहीं मिलता, यह अर्ध सत्य है, पूरा सच यह है कि भले ही दो चार ही हों, एफआईआर अवश्य दर्ज होनी चाहिए, पीड़ितों की तरफ से ठगों के खिलाफ तभी भुगतान में शीघ्रता होती है भुगतान मिलता है।
यदि ठगों को खुला छोड़ोगे, उनके दल्लों के बहकावे में आकर उनके पक्ष में खड़े हो जाओगे या मौन रह जाओगे, तमाशबीन बन जाओगे तो आपकी स्थिति पर्ल्स और सहारा पीड़ितों से बेहतर कभी नहीं हो सकती, दशकों लड़ते भागते जूझते रहना भुगतान नहीं होगा। भुगतान जल्दी पाना है तो ठगों के खिलाफ दंडात्मक, सामाजिक, और भुगतान की कार्रवाई अवश्य करें।
अनियमित जमा योजनायें पाबंदी कानून 2019 से किसी भी ईमानदार एजेंट एडवाइजर साथी को घबराने डरने की जरूरत नहीं है, हां जो बेईमान हैं जो प्रॉपर कानूनी कार्रवाई न करके जमाकर्ताओं को झूठे आश्वासन दे रहे हैं। ठगों के पक्ष में खड़े हैं उन्हें जरूर डरना चाहिए क्योंकि वह तो इस कानून के तहत जेल जाएंगे ही किन्तु जो एडवाइजर एजेंट्स मैनेजर फ्रैंचाइजर ठगों के विरुद्ध लड़ेंगे लड़ रहे हैं अपने जमाकर्ताओ को सच बता रहे हैं स्वयं सत्य बोल रहे हैं उन एजेंट्स एडवाइजर फ्रैंचाइजर को अनियमित जमा योजनायें पाबन्दी कानून 2019 में संरक्षण मिलेगा और उनका उनके जमाकर्ताओ का भुगतान भी सबसे पहले वापस मिल जाएगा।
इसलिए साथियो सबसे पहले उन एजेंट्स एडवाइजर और फ्रैंचाइजर का बहिष्कार करो जो आपको गुमराह कर रहे हैं कि आदर्श सहारा या कोई भी अन्य कम्पनी सोसाइटी दोबारा चालू हो जाएगी या वह ईमानदार थी उन्हें एजेंसीज द्वारा सताया जा रहा है, जिन ठगों के साथ स्वयं प्रधानमंत्री, गृहमंत्री मुख्यमंत्री फोटो खिंचवाते गर्व महसूस करते थे, उन ठगों के खिलाफ कोर्ट या कानून सख्त हुआ है तो निश्चित रूप से ठगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ठगी के सबूत मिले हैं।
आंदोलनकारियों ने आह्वान किया है कि तमाम 20 करोड़ ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार अब एकजुट होकर कानूनी कार्रवाई भी करनी होगी। आंदोलन भी करो, ठगों की ठगों के दल्लों की निंदा भी करो, इनकी शवयात्राएँ निकालो, पुतले जलाओ, धरना प्रदर्शन सत्याग्रह भी करो ताकि ठग प्रजाति खुली हवा में सांस न ले सके।
दरअसल सहारा इंडिया समेत कई कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खुल चुका है। जहां देशभर में पीड़ित निवेशक और जमाकर्ता आंदोलन पर हैं वहीं देश की राजधानी दिल्ली में संसद सत्याग्रह चल रहा है। हाल ही में राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा ने दिल्ली जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया है। गत दिनों पटना के गांधी मैदान में बड़ा आंदोलन किया गया था।