हाफ़िज किदवई
लोग मर रहे थे। पूरा शहर हैजा की चपेट में था। कहीं बच्चे की लाश पर माँ तड़प रही थी तो कहीं औरतें सुहाग की चूड़ियां तोड़ रही थीं। कहीं बीवी को खोने के ग़म में कोई आदमी छुपकर फफक कर रो रहा था। शहर का मशहूर बदमाश हैदर खान का भी परिवार हैज़ा की गिरफ्त में था। हैदर खान खूँखार था, मगर हैज़ा के आगे एक न चली। सबका ख़ून एक झटके में बहा देने वाला अपने परिवार को हैज़ा के सामने बेबस देख रहा था। तभी नौजवानों का एक दल आता है, जिसका नेतृत्व एक खूबसूरत नौजवान कर रहा है। वे हैदर खान के घर में फैली गंदगी को साफ़ करने लगते हैं। यह दल पूरे शहर में सफ़ाई अभियान चलाकर हैज़ा से निपट रहे थे। हैदर खान दरी पर पड़ा पड़ा लड़कोंको सफ़ाई करते हुए देखता है। जब सफ़ाई हो जाती है तो वह लड़कों से पूछता है- तुम हमें जानते हो? मैं एक खूँखार बदमाश हूँ।मेरी चौखट पर डर के मारे लोग नहीं आते। मुझसे कोई मिलना पसंद नहीं करता।
तब दल का नौजवान लीडर कहता है- ए हैदर खान, हमें पता है तुम क्या हो। तुम इतनी ताक़त के बावजूद हैज़ा के आगे बेबस हो। मेरे लिए तुम्हारी तक़लीफ़ दूर करना ज़रूरी है। हम सब शहर की सफ़ाई करके हैज़ा से लड़ रहे हैं। तुम्हारे घर में इतनी गंदगी थी कि उसे तो साफ़ करना ही था। तब हैदर खान कहता है- तुमको क्या लगता है कि तुमने मेरा घर साफ़ किया है, तुमने तो मेरा मन साफ़ किया है। और यह कहता हुआ हैदर खान उस नौजवान के गले लग कर रोने लगा। साथ ही बदमाशी छोड़ समाज के लिए लग गया। अब सुनिए यह नौजवान कौन था। आज़ाद हिंद फ़ौज़ को गढ़ने वाले, गाँधी को सबसे पहले राष्ट्रपिता कहने वाले, देश के सबसे ज़्यादा दिलों पर राज करने वाले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस। उनके शौर्य और उनकी संगठन क्षमता और क़ाबीलियत के बहुत से किस्से याद हैं। मगर आज उनकी पैदाइश के दिन उस शुरआत को बताना ज़रूरी था, जो एक लीडर को गढ़ती है।
सुभाष को मानने वाले सुभाष की ज़िंदगी से सीख आगे बढ़ते हैं। सुभाष के विचार और मार्ग को खत्म करने वाले उनको गाँधी, कांग्रेस और दूसरे विवादों में उलझाते हैं। वे सुभाष की जिंदगी के खूबसूरत पलों पर बात नहीं करेंगे। उनकी दिल जोड़ने की कोशिश को नहीं समझेंगे। भारत के हर नागरिक और धर्म के प्रति उनकी मोहब्बत को नहीं बताएँगे। ये तोड़ने वाले लोग नेता जी के जीवन से सिर्फ विवाद ही खोज कर लाते हैं।उन नफ़रत फैलाने वालों को अपना काम करने दें। आप नेताजी के जन्मदिन पर उनकी जिंदगी के बड़े कदमों- त्याग, प्रेम, सेवा, राष्ट्र प्रेम, समर्पण,ज्ञसंगठन क्षमता के किस्सों को आम कीजिये। एक बात दिल में बैठा लीजिये, हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत बोने वाला और आपस में नफरत करने वाला कोई भी व्यक्ति सुभाष बाबू का चाहे जितना नाम ले ले, वह उनके रास्ते का हरगिज नहीं हो सकता। नफरत और बाँटने वालों को सुभाष बाबू भी उतना ही नापसंद करते थे, जितना गांधी और नेहरू। इसलिए यह जान लो कि दिल में नफरत रख कर सुभाष बाबू को दिल में नहीं ले सकते हो। ऐसा कोई भी प्रयोजन सिर्फ एक धोखा है। एकता और भाईचारे को मानने वाले हर आदमी के लिए आज सुभाष बाबू को याद करने का दिन है।