यह होगा फायदा
दीपक कुमार तिवारी
पटना । बिहार के छह प्रसिद्ध उत्पादों को जल्द ही भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) मिल सकता है। इनमें गया का तिलकुट और पत्थलकटी, हाजीपुर का केला, नालंदा की बावनबुटी, उदवंतनगर का खुरमा और सीतामढ़ी के बालूशाही शामिल है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने इन उत्पादों के लिए मार्च 2022 से मई 2022 के बीच आवेदन किया था। फ़रवरी 2024 में ऑनलाइन सुनवाई हुई थी और अब ऑफलाइन सुनवाई होनी बाकी है।
नाबार्ड ने इन उत्पादों को जीआई टैग दिलाने के लिए काफी मेहनत की है। फ़रवरी 2024 में हुई ऑनलाइन सुनवाई के बाद अब मामला अंतिम प्रक्रिया में है। चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में ऑफलाइन सुनवाई होगी। सुनवाई में उत्पादों की विशिष्टता और उत्पादन प्रक्रिया की जांच की जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो इन उत्पादों को जीआई जर्नल में प्रकाशित कर लोगों से आपत्ति मांगी जाएगी। अगर किसी तरह की आपत्ति नहीं मिली तो जीआई टैग मिल जाएगा। यह टैग 10 साल के लिए वैध होगा। जीआई टैग मिलने से इन उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी और बाजार बढ़ेगा। यही नहीं पूर्व से मिले टैग वाले उत्पादों की ब्रांडिंग भी पूरे विश्व में है।
बिहार के कई उत्पादों को पहले ही जीआई टैग मिल चुका है, जैसे कि भागलपुरी जर्दालु आम, भागलपुरी सिल्क, मुजफ्फरपुर का शाही लीची, करतनी चावल, सिलाव खाजा, मगही पान, मधुबनी पेंटिंग। बिहार के कई उत्पाद पहले से ही विदेशों में जा रहे हैं। नए उत्पादों को जीआई टैग मिलने से उनकी भी मांग बढ़ेगी और बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। वर्तमान में बिहार से कई उत्पाद विदेशों में जा रहा है। अब नए उत्पादों को जीआइ टैग मिलने के बाद उनकी भी मांग बढ़ेगी।