5G Spectrum Auction : जल्द हो जाएगा  5G नेटवर्क का देश में Commercial इस्तेमाल

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5G Spectrum Auction : नई कंपनी के साथ अडानी भी हुए शामिल 

सौरव शर्मा 
आपके फोन में 4G नेटवर्क ढंग से आए न आए लेकिन भारत में 5G नेटवर्क के Spectrum की नीलामी 26 जुलाई से शुरु हो गई है और दावा किया जा रहा है कि सितंबर या अक्टूबर तक 5G नेटवर्क का देश में Commercial इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि 4G के समय किये गए दावों और स्पीड, 5G के साथ तो मिल ही जाएंगे। इस बार 5G Auction में एक और नई कंपनी लेकर बिजनेस मैन अडानी भी शामिल हो गए हैं, लेकिन उनकी सेवा केवल एयरपोर्ट तक उन्हीं की कंपनी के प्राइवेट नेटवर्क तक ही सीमित रहेगी ऐसा अनुमान है।
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दरअसल (Visual Start) 5जी के ट्रायल के दौरान मुकेश अंबानी की Reliance Jio, Bharti Airtel और VI (Vodafone Idea) कंपनियां शामिल रही हैं। 5G के आने से भारत के टेलीकाम सेक्टर में क्या प्रभाव पड़ेगा ? 5G नेटवर्क कितना अलग है ? 4G नेटवर्क की अपेक्षा, क्योकि इन जेनेरेशन का कनेक्शन न केवल इंटरनेट स्पीड से है बल्कि उससे कहीं ज्यादा देश की Growth से भी है।

ज्ञात हो कि सितम्बर 2016 में जब वह समय जब Jio अपनी 4G सेवाएं देशभर में शुरू करता है, उसके बाद मानो भारत में इंटरनेट का सुरते ए हाल ही बदल गया, इसने न केवल गांवों तक लोगो के लिए 4g सेवा मुहैया कराई बल्कि उसे फ्री भी रखा, जो इंटरनेट केवल महानगरों तक कुछ ही लोगो के पास Broadband के रुप में मिलता था, वो अब छोटे शहरों और गांवों तक आसानी से पहुंच गया, भारत में 4G सेवा के आते ही लोगो की सोशल मीडिया में पहुंच बढ़ गई, OTT प्लेटफार्म कंपनियो को भी भारत में अपना बिजनेस दिखने लगा, अब कम कीमत पर सभी के लिए इंटरनेट उपलब्ध हो चुका था, Google और YouTube लोगो के नए टीचर बन चुके थे।

शायद ही किसी सेक्टर को 4G ने प्रभावित न किया हो इसलिए देश के विकास में एक बड़ा योगदान G यानि Generation निभाता है, भारत में 5G के आने पर भी इसी तरह की उम्मीद लगाई जा रही है। बताया जा रहा है कि 5G के आने के बाद IOT (internet of things) और AI (artificial intelligence) की मदद से हमारे Device  आपस में आसानी से बात कर पाएंगे यानि कि तालमेल, जिसका प्रयोग Driver less car, Drone की सहायता से Delivery जैसे कामों में किया जाएगा ये सारी चीजे रियल लाइफ में Possible हो पाएंगी, ये बस एक झलक है 5G के आने के बाद होने वाले बदलावों की, इसके अलावा अनगिनत नए बदलाव हमें देखने को मिलेंगे।ऐसे में प्रश्न उठता है कि 5G आने से पहले नीलामी किस चीज की चल रही ? तो यह माना जाये कि सरकार अपनी ओर से स्पेक्ट्रम को नीलाम है जिसे मोबाइल कंपनियां खरीद कर उसका उपयोग अपनी सेवा देने में कर रही हैं।
उदाहरण के लिए  रेडियों पर आने वाले चैनल अलग अलग frequency पर काम करते हैं, हर रेडियो चैनल की एक पहले से निर्धारित Frequency होती है जिस पर वह काम करता है, ठीक इसी तरह अलग अलग मोबाइल कंपनी अलग अलग Spectrum पर काम करती है , FM चैनल जिस फेंक्वेसीं पर काम करते हैं  example – 95. Something या 98. Something ये सभी frequency उन्हें सरकार से खरीदनी पड़ती है। उसी तरह मोबाइल कंपनियों को भी देशभर में अपनी सेवा प्रदान करने के लिए सरकार से स्पेक्ट्रम खरीदना पड़ता है।

ध्यान रहें यहां खरीदने से मतलब सरकार का किसी कंपनी को उस स्पेक्ट्रम के उपयोग का अधिकार देना है, स्पेक्ट्रम के अधिकार को नीलाम कर सरकार को मोटा पैसा भी मिलता है, इसी के साथ सरकार यह सुनुश्चित भी करती है कि अलग अलग कंपनी को अलग – अलग बैण्ड मिलें। जिस तरह FM रेडियों में पहले से Decide बैण्ड होते हैं। इसी के साथ सरकार, रक्षा के लिए और अपने अन्य विभागों के काम के लिए उनकी importance के According पहले से ही स्पेक्ट्रम Decide कर देती है। अब तक हमने नीलामी किस चीज की होती है ये समझा अब समझते हैं कि नीलामी की कुछ जरुरी बातें और इस बार की नीलामी में क्या हुआ ये समझते हैं।

क्या हुआ इस बार की नीलामी में : नीलामी में सरकार देश के अलग अलग हिस्सों के लिए स्पेक्ट्रम को नीलाम करती है। हर जगह के लिए कंपनियां अपनी Priority  के हिसाब से इन स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाकर उनका अधिकार खरीदती है, इसके बाद इन जगहों पर कंपनियां अपनी सर्विस प्रोवाइड करती है। इसलिए एक ही कंपनी के सिम का नेटवर्क जगह के हिसाब से बदलता रहता है क्योकि जगह के ही हिसाब से स्पेक्ट्रम को बेचा जाता है।
अब इस बार की नीलामी में क्या हुआ? नीलामी में इस बार पहले से मौजूद 3 कंपनियां JIO, AIRTEL  और VI के अलावा अडानी की नई कंपनी ने भी हिस्सा लिया है।
Don’t Read (रिलायंस जियो ने नीलामी के लिए सबसे ज्यादा 14 हजार करोड़ रुपये अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट के तौर पर जमा किए हैं। वहीं एयरटेल ने 5,500 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया ने 2,200 करोड़ रुपए जमा किए है। अडानी डेटा नेटवर्क ने महज 100 करोड़ रुपये जमा किया है ।  नीलामी में हिस्सा लेने के लिए कंपनियों को एक निर्धारित राशि जमा करनी होती है, Security के तौर पर, इस बार सबसे ज्यादा JIO ने पैसे 14 हजार करोड़ रुपये Security के रूप में जमा किये है, और सबसे कम 100 करोड़ रुपये अडानी ग्रुप ने, (Editing CUT) ये जमा पैसे एक तरह से कंपनी के स्पेक्ट्रम खरीदने की क्षमता को भी दर्शाते है, तो इस हिसाब से JIO का Plan पूरे देशभर में सबसे ज्यादा जगहों को कवर करना है वही अडानी ग्रुप केवल अपने कंपनी के लिए एक प्राईवेट नेटवर्क स्थापित करना चाहता है। लेकिन कम राशि जमा करने के बाद भी बोली लगाकर कंपनिया जितना चाहे उतना स्पेक्ट्रम खरीद सकतीं है।
26 जुलाई को शुरु हुई ये नीलामी 1अगस्त तक पूरी हो चुकी है।
सात दिनों तक चली इस नीलामी की प्रक्रिया में टेलीकॉम कंपनियों ने लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बोली लगा दी है, इसमें Reliance की Jio सबसे आगे है बताया जा रहा है कि 5G Spectrum Auction के चलते सितम्बर या फिर अक्टूबर तक लोगो को 5G की सुविधा ट्रायल मोड पर देखने को मिल सकती है। देखना होगा कि 5G आने के बाद देश में क्या नये बदलाव देखने को मिलेंगे पिछले 6 सालों में 4G नेटवर्क से देश में बड़े बदलाव आए है, लेकिन स्पीड और नेटवर्क के मामले में अभी हमारे मोबाइल नेटवर्क Struggle करते दिखते है, और 5G आने के बाद इनमें कितना बदलाव आएगा, इसी के साथ हमारे यहां इंटरनेट literacy काफी कम है जिसके चलते गांवों मे इंटरनेट तो पहुंचा लेकिन उन्हे उपयोग कैसे करना है और क्या सतर्कता रखना चाहिए वो किसी ने नही सिखाया, जिससे लोगों की निजता भी चली गई और Online ठगी के मामले भी बढ़ गए। ऐसे में 5G आने के बाद जब हमारे सभी Device आपस में Connect हो जाएंगे तब ये सवाल और भी बड़ा हो जाएगा कि क्या भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा 5G नेटवर्क सेवा के लिए तैयार भी है?

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