29 नवम्बर को किसान फिर से जाम कर देंगे दिल्ली की सीमाएं!

सी.एस. राजपूत 
दिल्ली की सीमा पर भले ही आज की तारीख में शांति नजर आ रही हो पर 29 नवम्बर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में सीमा पर फिर से माहौल गरमाने वाला है। किसानों ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के एक साल पूरे होने पर संसद तक ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान जो कर दिया है। दिल्ली में हर दिन पांच सौ किसानों के पहुंचने की बात की जा रही है। मतलब किसानों की रणनीति है कि रोज दिल्ली में कम से कम सौ ट्रैक्टर दिल्ली में घुसाये जाएं। माहौल बिगडऩे की आशंका इसलिए भी है क्योंकि आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि ट्रैक्टर मार्च की वह किसी से कोई अनुमति नहीं लेंगे। उन्होंने प्रश्न किया कि किसान अफगानिस्तान से आया आतंकवादी है क्या ? उनका कहना है कि किसान भी इस देश का नागरिक है। कभी भी कहीं पर भी जा सकता है। मतलब दिल्ली पुलिस किसानों के ट्रैक्टर रोकेगी और किसान जबरन दिल्ली में घुसेंगे। दिल्ली में क्या होगा ? गत साल की तरह किसानों के फिर से सीमा पर डेरा डालने की संभावना दिखाई दे रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के एक साल पूरे होने के मौके पर 500 किसान हर दिन 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च में हिस्सा लेंगे। दरअसल किसान लंबे समय से नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित हैं। मोदी सरकार के तमाम हथकंडों के बावजूद किसान आंदोलत लगातार जारी है। अब जब संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है तो किसानों ने फिर से मोदी सरकार पर दबाव बनाने का रणनीति बनाई है।
संयुक्त किसान मोर्चा की 29 नवम्बर से केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के एक साल पूरे होने पर 500 किसान हर दिन ट्रैक्टर मार्च में हिस्सा लिवाने की रणनीति है। इस मुद्दे पर एक टीवी पर एंकर से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ट्रैक्टर मार्च की अनुमति न लेने की बात कही है। उन्होंने प्रश्नात्मक लहजे में कहा है कि क्या किसान अफगानिस्तान से आया आतंकवादी है। हम भी भारतीय हैं और हम जहां चाहे वहां जा सकते हैं? जहां तक गाडिय़ां जाती हैं वहां ट्रैक्टर ले जाने से क्या एलर्जी है? मतलब राकेश टिकैत हर हाल में सत्र के दौरान ट्रैक्टर यात्रा निकालने के मूड में हैं।
ज्ञात हो कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान गत साल 26 नवंबर से नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। उच्चतम न्यायालय ने इन कानूनों के क्रियान्वयन पर जनवरी में रोक लगा दी थी। चालीस किसान संघों के संगठन एसकेएम ने यहां एक बैठक के बाद ट्रैक्टर मार्च की घोषणा की। इस बयान में कहा गया है कि यह केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए तथा उसे उन मांगों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने के वास्ते किया जाएगा। इससे पहले मार्च में भी किसानों ने विवादित तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए संसद तक पैदल मार्च निकाला था। किसान आंदोलन के तहत 26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़ दिए थे और सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया तथा लालकिला परिसर में घुसकर वहां एक धार्मिक झंडा लगा दिया था। एसकेएम के बयान में यह भी कहा गया है कि 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली की सभी सीमाओं पर भारी भीड़ जुटेगी। संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल सभी किसान यूनियन इस अवसर के लिए बड़ी संख्या में किसानों को लाएंगी। सीमाओं पर विशाल जनसभाएं होंगी। एसकेएम ने 26 नवंबर को राज्यों की राजधानियों में बड़े पैमाने पर महापंचायतों का भी आह्वान किया है। किसान नेता और राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के प्रतिनिधि अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि संसद जाने के रास्ते में दिल्ली पुलिस जहां भी रोकेगी, किसान वहीं धरने पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि मार्ग को अंतिम रूप देने और ट्रैक्टर मार्च के लिए पुलिस की अनुमति के बारे में कोई भी निर्णय बाद में लिया जाएगा।

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