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संविधान निर्माण हेतु हुआ था 22 समितियां का गठन 

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पवन कुमार 

 

22 जनवरी 1947 को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण के कार्य को त्वरित गति से पूरा करने के लिए 22 समितियां का गठन किया था। भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिनके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया था और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ था, संविधान सभा की ड्राफ्टिंग,मशोदा,प्रारूप सभा का अध्यक्ष होने के नाते बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है,बाबा साहब को संविधान निर्माता,संविधान जनक, संविधान का राजा कहा जाता है।ड्राफ्टिंग सभा में 7 व्यक्ति थे।(1)अध्यक्ष – बाबा साहब भीमराव अंबेडकर,(2)कृष्णा स्वामी अय्यर,(3) डॉ के,एम, मुंशी,(4) सैयद मोहम्मद सादुल्ला,(5) एन गोपाल स्वामी अयंगर,(6) वी एल मित्तर,(7) डी,पी,खेतान थे।


।आप जानते हैं ? संविधान के हर पन्ने पर प्रेम बिहारी नारायण रायजादा का नाम लिखा हुआ है, पंडित जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने भारतीय संविधान अपनी कलम से लिखा था, जिसको लिखने में 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गई। फीस के नाम पर उन्होंने कहा कि “एक भी पैसा नहीं भगवान की कृपा से मेरे पास सब कुछ है, मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं इसके लिए मेरी एक शर्त है मैं संविधान के हर पन्ने पर अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपने नाम के साथ गुरु व दादा राम प्रसाद सक्सेना का नाम लिखूंगा।
हमारे संविधान के हर पन्ने पर शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल) के कलाकारों राम मनोहर सिन्हा, नंदलाल बोस द्वारा सुसज्जित भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण के साथ ऐतिहासिक चुनिंदा महात्माओं, गुरुओं, शासकों के साथ ही पौराणिक पात्रों के चित्र बनाए गए हैं, इन्हें संविधान के अलग-अलग पन्नो पर बनाया गया है, विश्व के महत्वपूर्ण 60 देशों के संविधानों का अध्ययन कर भारत का संविधान तैयार किया गया था, जिस पर संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे।संविधान त्यार होने 2वर्ष 11महीने 18दिन लगे थे।प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान को हस्तलिखित किया और बाबा भीमराव अंबेडकर मसौदा समिति के अध्यक्ष थे जिन्होंने दस्तावेज लिखे और उनके भागों अनुसूचियां,आलेखों को तैयार किया। संविधान सभा के निर्माण का प्रस्ताव सर्वप्रथम वर्ष 1934 में एम, एन रॉय द्वारा रखा गया था। जबकि संविधान सभा का गठन के लिए चुनाव वर्ष 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत हुए थे।भारतीय संविधान को बैग ऑफ बोरोविंग (Bag of borrowings) भी कहते हैं क्योंकि इसके ज्यादातर प्रावधान अन्य देशों से लिए गए हैं इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, और जापान के संविधान से लिए गए हैं। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है क्योंकि इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों,कर्तव्यों,सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है, विधायिका,कार्यपालिका,न्यायपालिका द्वारा संचालित सभी प्राधिकरणों की सभी विशेषता और विवरण को शामिल किया गया है, प्रारंभ के समय इसमें 22 भागों में 395 अनुच्छेद और आठ अनुसूचियां थी, आप इसमें 22 भागों और 12 अनुसूचियां में 448 लेख है।


भारतीय संविधान का अनुच्छेद एक कहता है – इंडिया जो कि भारत है राज्यों का संघ होगा,यह प्रावधान दो बातों से सेवादित है(1) नाम (2) राज्य व्यवस्था का प्रकार।भारत और इंडिया दोनों नाम संविधान में उल्लेखनीय है।
अध्ययन से जानकारी मिलती है कि विश्व का सर्वप्रथम संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका कहा था जिसका निर्माण 1787 ई० में हुआ था।
संविधान क्या है? संविधान मौलिक नियमों का एक समूह है जो यह निर्धारित करता हैं कि किसी देश अथवा राज्य को कैसे चलाया जाता है लगभग सभी संविधान (संहिताबद्ध)है जिसका सीधा मतलब संविधान है। संविधान सभा की अंतिम बैठक संविधान निर्माण के लिए 24 नवंबर 1949 को आयोजित की गई थी इस दिन 284 संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए थे सर्वप्रथम हस्ताक्षर करने वाले पहले व्यक्ति पंडित जवाहरलाल नेहरू थे।
संविधान कहां रखा गया? इस संविधान की मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी गई इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर है संविधान की यह हस्तलिखित प्रतियां संसद के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी गई है। कांच से बने इन पारदर्शी शील बंद बक्सों में नाइट्रोजन भरा है, जो पांडुलिपि के कागज को खराब नहीं होने देती यह दोनों बॉक्स अमेरिका की एक कंपनी ने कैलिफोर्निया में बनाए थे।
संविधान की हिंदी कॉपी कैली ग्राफर बसंत कृष्ण वैध ने हाथ से लिखी है।
क्या आप जानते हैं? आजादी के बाद एक बार ऐसा मौका आया था जब बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर (संविधान निर्माता) इस संविधान को जलाना चाहते थे। 2 सितंबर 1953 को राज्यसभा में राज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने के मुद्दे पर जोरदार बहस हो रही थी, तब अंबेडकर ने कहा था मेरे मित्र मुझे कहते हैं कि मैं संविधान बनाया है, लेकिन मैं आपसे बताना चाहता हूं कि इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति मैं ही होऊंगा। मुझे इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। बहुसंख्यक यह नहीं कह सकते कि अल्पसंख्यकों को महत्व देने से लोकतंत्र का नुकसान होगा, असल में अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाना सबसे ज्यादा नुकसानदायक होगा ।बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हमेशा बहुसंख्यकों द्वारा अल्पसंख्यकों पर पर अत्याचार के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने ऐसी बात कहने का कारण बताया है कि हम मंदिर भगवान के लिए बनाते हैं उसमें अगर राक्षस वास करने लगे, तब हमारे पास मंदिर तोड़ने के शिवाय कोई रास्ता नहीं बचता।