13  दिन का पक्ष और मानसून काल- एक विश्लेषण

इस बार सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में  प्रवेश 22 जून भारतीय समयानुसार, रात्रि के 00 :06 :07 बजे होगा 

सूर्य के आर्द्र नक्षत्र में प्रवेश के अलावा सूर्य का धनु राशि में प्रवेश, जिसकी मेघ के गर्भधारण करने का काल कहा जाता है यह  भी मानसून के बारिश को प्रभावित करनेवाला महत्वपूर्ण कारक है| सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश से मानसून की शुरुआत होती है जो कि सूर्य के स्वाति नक्षत्र में गोचर तक जारी रहता है| आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक सूर्य की यात्रा में अन्य ग्रहों,वायु, वारों और तिथियों  द्वारा बनने वाले योग यह निर्धारित करते हैं कि कृषि हेतु भरपूर जल की प्राप्ति होगी, कम बारिश होगी या सूखा होगा| नारद पुराण,रामचरितमानस और प्रख्यात विद्वान आचार्य वराह मिहिर ने इन योगों के आधार पर बारिश फल कथन की विस्तृत चर्चा की है|

देश, काल और पात्र के हिसाब से समय अनुसार इन योगों को देखा जाना चाहिए|

 

अब बात सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश की:-

 

क्रम से नकारात्मक और सकारात्मक बिंदुओं को जानेंगे,

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश के समय –

1 – वार – शुक्रवार  – अच्छी बारिश

2 – योग – शुक्ल  – अच्छी  बारिश

3 – करण – वव  – अच्छी बारिश

4 -रात में आर्द्रा प्रवेश – अच्छी बारिश

5 – चन्द्रमा मूल में  – सामान्य से कम बारिश, बादल फटने, ठनका गिरने की स्थिति|

6 -चन्द्रमा का अग्नि तत्व राशि में  होना – मेघ बनेंगे पर बरसेंगे नहीं|

7 – शुक्र और बुध का, अगस्त के दूसरे सप्ताह के बाद, एक दूसरे से  दूरी बनाये रखना, बारिश को बाधित करने का योग है|

8 – सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश के समय मीन  लग्न का उदय होना- अच्छी बारिश का संकेत है|

9 – शुक्र और बुध एक दूसरे के साथ होकर का केंद्र में होना अच्छी बारिश का योग है लेकिन वायु तत्व राशि में होना बारिश के साथ साथ चक्रवातीय तूफ़ान की भी स्थिति है|

10 – शुक्र, बुध और चन्द्रमा  इन तीनों की कोणीय स्थिति भी अच्छी बारिश की स्थिति बना रहे हैं|

 

11 – सम्पूर्ण मानसून काल में 30  जून से 10  जुलाई तक का समय, 3 अगस्त से 19 अगस्त तक का समय तथा 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक का समय बारिश को लेकर सबसे अनुकूल समय होगा|

12 – शुक्र का अनुकूल नक्षत्र में गोचर जून के द्वितीय सप्ताह से ही अच्छी बारिश की स्थिति बना रहे हैं|

13 – अगस्त के पहले सप्ताह में बुध, शुक्र का शनि से दृष्ट हो जाना तथा अगस्त के अंतिम सप्ताह में शुक्र का शनि से दृष्ट हो जाना- बारिश के बाधित हो जाने की स्थिति है|

14 – जुलाई, अगस्त माह की अपेक्षा सितंबर माह में कम बारिश का संकेत है|

15 – जुलाई के तीसरे सप्ताह में शनि और सूर्य की वजह से बारिश के रफ़्तार में थोड़े दिनों का ब्रेक लगेगा| इस ब्रेक की वजह से देश के उत्तरी और उत्तरमध्य क्षेत्र में बारिश में गिरावट दर्ज की जा सकती है|

इसके अलावा प्राकृतिक उत्पात के साथ साथ चक्रवातीय तूफ़ान,भारी बारिश, आगजनी, बादल फटना आदि के लिए अनुकूल माहौल बनाने वाले कुछ अन्य योग भी निर्मित हो रहे हैं जो निम्नांकित हैं-

1 – वर्ष प्रवेश कुंडली के अनुसार शुक्र और चंद्र के बीच सूर्य और राहु का होना तथा बुध और शुक्र के बीच नज़दीकी संबंध का अभाव होना, सिंह राशि का शनि, मंगल के प्रभाव में होना तथा राशि स्वामी का राहु के साथ होकर राशि से अष्टम भाव में होना, इस वर्ष पश्चिम भाग तथा दक्षिण पूर्वी भाग में भूगर्भ जल स्तर में गिरावट और सूखा संभावित क्षेत्र में वृद्धि की स्थिति तथा पहाड़ी एवं सुनसान प्रदेश में आगजनी की घटना में वृद्धि की स्थिति बना रहे हैं|

 

2 – सूर्य के आर्द्र नक्षत्र में प्रवेश के पहले बुध का वायु तत्व राशि में शुक्र के नज़दीक जाना 10 जून 15  जून के बीच मौसम में अप्रत्याशित परिवर्तन के साथ साथ चक्रवातीय तूफ़ान, तेज बारिश के लिए अनुकूल माहौल बनाने वाला समय है|

3 – आषाढ़ कृष्ण पक्ष का 13 दिन का होना (23 जून – 5 जुलाई) तथा इसी समय शनि का वक्री होना, मंगल, गुरु और बुध की गति में परिवर्तन होना पश्चिमी हिस्से में चक्रवातीय तूफ़ान, तेज बारिश के साथ साथ भूकंप के लिए भी अनुकूल माहौल बना रहे हैं|

4 – अगस्त के पहले सप्ताह में शुक्र, बुध और चंद्र का अनुकूल नाड़ी में होकर जल तत्व राशि में होना तथा अग्नि तत्व राशि के मंगल से दृष्ट होना पूर्वी और उत्तरी भाग में भारी बारिश के साथ बदल फटने, बिजली गिरने के साथ साथ प्राकृतिक उत्पात कि स्थिति बना रहे हैं|

5 – 28 सितंबर को सूर्य का प्रवेश हथिया में होगा| कहते हैं कि यदि हथिया नक्षत्र में अच्छी बारिश हो गयी तो कम से कम अगले तीन बर्षों के लिए भूगर्भ जल की सारी समस्याएं समाप्त हो जाती है| हथिया में सूर्य के रहते 29 सितंबर से 1 अक्टूबर का समय अच्छी बारिश का संकेत दे रहे हैं|

6 – सूर्य और केतु के साथ अन्य ग्रहों का खास जुड़ाव अक्टूबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह में दक्षिण तथा दक्षिणोत्तर भाग में प्राकृतिक उत्पात की स्थिति बना रहे हैं|

मेघों के गर्भ धारण का समय, वर्ष प्रतिपदा का समय, सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश का समय और इसके साथ ग्रहों का एक दूसरे के साथ बनने वाले जो संबंघ हैं उनके आधार पर यह संकेत मिल रहे हैं कि देश के उत्तर, पूर्व राज्यों में कहीं कहीं मेघ तो खूब बनेंगे पर उस अनुपात में बारिश नहीं होगी और कुछ हिस्से ऐसे होंगें जहाँ पिछले वर्ष की अपेक्षा रिकॉर्ड तोड़ बारिश होगी| कुल मिलाकर देखा जाये तो देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून सामान्य रहने का संकेत है|

B Krishna  (ज्योतिषी, योग और आध्यात्मिक चिंतक )

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