पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने दावा किया है कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के करीब 12 नेता एनडीए के संपर्क में हैं। मांझी ने गुरुवार को कहा कि आरजेडी में “खेला” करने की कोशिश करने वालों के साथ खुद “खेल” हो सकता है। उनके इस बयान ने बिहार की राजनीतिक फिजा में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व क्षमता की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पिछले 19 वर्षों से बिहार की राजनीति को कुशलता से संभाल रहे हैं। मांझी ने तेजस्वी यादव के उस बयान का भी विरोध किया, जिसमें तेजस्वी ने कहा था कि बिहार सरकार को नीतीश नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चला रहे हैं। मांझी ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके पास न तो जनाधार है और न ही कोई ठोस मुद्दा। वे केवल राजनीति में अपने माता-पिता की विरासत के सहारे आए हैं और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। तेजस्वी यादव ने यह आरोप लगाया था कि भाजपा, बिहार सरकार के सीएम कार्यालय (सीएमओ) को कंट्रोल कर रही है और राज्य में फैसले अमित शाह ले रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि जेडीयू के चार नेता भाजपा के संपर्क में हैं। इन आरोपों का खंडन करते हुए मांझी ने कहा कि भाजपा और एनडीए पूरी तरह से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुट हैं। उन्होंने भाजपा के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें कहा गया था कि 2025 के विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़े जाएंगे। मांझी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें नीतीश कुमार को भारत रत्न से सम्मानित करने की बात कही गई थी। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार में ऐसे सभी गुण मौजूद हैं, जो उन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान का हकदार बनाते हैं। उनका योगदान न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए उल्लेखनीय है। मांझी के इस बयान ने आरजेडी और एनडीए के बीच दरार और संभावित “पाला बदल” की अटकलों को बढ़ावा दिया है। बिहार की राजनीति में दावे और पलटवार के इस दौर ने आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक समीकरणों को और अधिक जटिल बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मांझी के इस बयान पर आरजेडी और अन्य दलों की क्या प्रतिक्रिया होती है और यह घटनाक्रम किस दिशा में बढ़ता है।मांझी के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की राजनीति में अभी कई मोड़ आना बाकी हैं। 2025 का चुनाव एनडीए के लिए कितना सफल होगा, यह आने वाले समय में तय होगा।