
राम विलास
राजगीर। नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालन्दा के संस्थापक निदेशक भिक्षु जगदीश कश्यप की 116वीं जयन्ती कल गुरुवार को आयोजित की जायेगी। भिक्षु कश्यप बौद्ध विद्या के अंतर्राष्ट्रीय विद्वान थे। 2 मई 1908 को जन्मे भिक्षु जगदीश कश्यप के द्वारा नव नालन्दा महाविहार की स्थापना 20 नवम्बर 1951 में किया गया है।
विश्वविद्यालय की कुलसचिव डाॅ मिता ने बताया कि संस्थान के संस्थापक के जन्मोत्सव की तैयारी विश्वविद्यालय द्वारा जोर शोर से की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राचीन नालन्दा श्रीमहाविहार की निरंतरता को कायम रखने के लिए भिक्षु जगदीश कश्यप द्वारा नव नालन्दा महाविहार की स्थापना की गयी थी। वे पालि भाषा एवं बौद्ध धर्म के विकास एवं प्रचार-प्रसार में अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया।
देश में भिक्षु जगदीश कश्यप पहले व्यक्ति हैं जिनके द्वारा त्रिपिटक के सभी खंडों का प्रकाशन पहली बार कराया गया है। महाविहार उनकी 116वीं जयन्ती को यादगार बनाने के लिए धूमधाम से तैयारीकर रहा है। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम प्रातः 7:30 बजे उनकी पाषाण प्रतिमा पर पुष्पांजली अर्पित की जाएगी तथा धूप-दीप आदि जलाकर नमन व याद किया जायेगा।
बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बुद्ध धम्म एवं संघ की वंदना की जाएगी। 11 बजे से आचार्य नागार्जुन संकाय भवन के सत्तपर्णी सभागार में उनके व्यक्तित्व एवं कृत्तित्व के पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा। कश्यप जी उच्च कोटि के विद्वान एवं वक्ता थे। उन्होंने पालि त्रिपिटक का 41 खण्डों का सम्पादन किया है।
उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में पालि महाव्यारण, खुद्दक निकाय का हिन्दी अनुवाद, संयुक्त निकाय का हिन्दी अनुवाद, मिलिन्द प्रश्न का हिन्दी अनुवाद आदि है।व्याख्यान समारोह की अध्यक्षता महाविहार के कुलपति प्रो. राजेश रंजन करेंगे। कुलसचिव ने कहा कि भिक्षु जगदीश कश्यप नालंदा के मालवीय थे। उन्होंने जन सहयोग से प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्मृति में नव नालंदा महाविहार की स्थापना की थी।