बिनु सत्संग विवेक न होई: छोटे बापू

 

वैशाली (गोरौल)।
“कोई कितना भी ज्ञानी, धनी या बलवान क्यों न हो, यदि वह सत्संग से वंचित है तो उसके जीवन में सच्चा सुधार नहीं हो सकता।” यह उद्गार अयोध्या से आए प्रसिद्ध कथा वाचक छोटे बापू जी महाराज ने चैनपुर स्थित सर्व मनोकामना सिद्ध संकट मोचन श्री हनुमान मंदिर के प्रांगण में चल रही श्रीमद्भगवत कथा के दौरान व्यक्त किए।

उन्होंने कहा, “सत्संग ही वह माध्यम है जिससे मनुष्य को अपने ज्ञान, धन और बल का सही उपयोग करना आता है। ‘बिनु सत्संग विवेक न होई’ यह केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि जीवन की सच्चाई है।”

छोटे बापू जी महाराज ने जीवन में उन्नति के लिए माता-पिता एवं गुरुजनों की बातों को शिरोधार्य करने की सीख दी। उन्होंने राजा परीक्षित के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि परीक्षित ने धर्म और पृथ्वी (गाय व बछड़ा) के संवाद को सुनकर कलयुग के प्रभाव से उनकी रक्षा का संकल्प लिया था।

उन्होंने बताया कि कलयुग का वास जुए, मदिरा, वेश्यावृत्ति और हिंसा वाले स्थानों में होता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से ऐसे स्थानों से दूर रहने की अपील की। उन्होंने कहा, “जहां अधर्म व अनीति से अर्जित धन होता है, वहां कलयुग का प्रभाव स्वतः होता है। अतः धर्मानुसार आचरण व धनार्जन ही सच्चे सुख का मार्ग है।”

कथा में अयोध्या से आए व्यास सियाराम दास जी महाराज एवं मध्यप्रदेश दतिया से आए रमा शंकर मिश्र ने भी कलयुग के प्रभाव और धार्मिक जीवन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

कथा स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। धार्मिक वातावरण में श्रद्धा और भक्ति का संगम देखने को मिला।

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