
राजीव गांधी से मेरी भी बात हुई थी। अटल बिहारी वाजपेई जी के घर पर उनके पारिवारिक मित्र और हमारे वार्डन कौल साहब की ओर से एक आयोजन था। वहीं पर राजीव गांधी भी आए हुए थे। अब वे प्रधानमंत्री नहीं थे। बेहद सादगी, विनम्रता और सहजता से वे वहां उपस्थित लोगों से बतिया रहे थे। मैंने उनके पास पहुंच कर कहा कि मेरी इच्छा है कि आपके साथ जेल में रहूं। उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर ठहाका लगाते हुए कहा ऐसा क्यों? मैंने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं सोशलिस्ट लोहिया अनुयायी हूं। हमारे यहां किसी भी राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए तीन सूत्री कार्यक्रम बताए गए हैं, वोट, जेल, फावड़ा। आप में सब खूबियां है परंतु जब तक राजनीतिक कार्यकर्ता जेल जाने के भय से मुक्त नहीं होता, वह निडर कार्यकर्ता नहीं बन सकता। मुल्क के कद्दावर नेता और एक साधारण राजनीति कार्यकर्ता के बीच ऐसे बात होने लगी, मानो वह एक दूसरे से परिचित हो। मैं उनसे हिंदुस्तान की अंदरूनी राजनीति के बारे में चर्चा करने का प्रयास कर रहा था, परंतु मुझे आज तक याद है कि वे विदेश नीति, खासतौर से कश्मीर के मुतालिक किसी फौजी अफसर के कहे गए संदर्भ को ही बतियाते रहे। चंद मिनट की इस मुलाकात मैं उन्होंने जिस सहजता, शराफत, साधारणीकरण, अपनेपन का बर्ताव मेरे साथ किया, उस संदर्भ में जब मैंने अपने अन्य सोशलिस्ट साथियों को बताया, तो उनमें से कई लोगों ने उसका अलग-अलग अर्थ लगाया। हमारे एक साथी जो हर किसी दूसरे आदमी पर कटाक्ष, हास्य तथा शंका की निगाह से देखते हैं, उन्होंने तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त की की जैन साहब भी अब कांग्रेस में भर्ती होने वाले हैं।
राजीव गांधी जो मिस्टर क्लीन की इमेज से राजनीति में दाखिल हुए थे उन पर बोफोर्स तोप की दलाली की तोहमत लगाकर बदनाम किया गया। प्रधानमंत्री वीपी सिंह अपनी हर आम चुनाव में सभा में अपनी जेब में से एक पर्ची निकालकर कहते थे कि बोफोर्स कांड वालों को जेल भेजने की यह गारंटी है। कई कमीशन, जांच कमेटी बैठाई गई परंतु अंत में वह एक षड्यंत्र ही सिद्ध हुआ।
सियासत में पाक दामन इंसान पर आरोप लगाकर बदनाम करने और जो सचमुच में गुनाह करने वाले हैं, उनको उनके धन-जन जाति धर्म के बल पर महान घोषित करने का दुष्चक्र पहले भी था और आजकल तो पूरी रफ्तार के साथ दौड़ रहा है। एक भले, ईमानदार, शरीफ, देशभक्त इंसान की जिस प्रकार जघन्य हत्या की गई उसका रंज आज तक मुझको है। नमन है, नमन है।
रागजकुमार जैन