चरण सिंह
बिहार में बाबा बागेश्वर, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और श्री श्री रविशंकर ने डेरा डाल दिया है। देखने की बात यह है कि नीतीश सरकार में बाबा बागेश्वर हिन्दू राष्ट्र की बात कर रहे हैं। मोहन भागवत दुर्भाग्य के दिन बीतने की बात कर रहे हैं और नीतीश कुमार चुप हैं। जिन नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार में नहीं घुसने नहीं दिया।
2014 में उनको प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर एनडीए से नाता तोड़ लिया। वे नीतीश कुमार तमाम जलालत झेलने के बावजूद बीजेपी से सटे हुए हैं। कभी वह पीएम मोदी के पैर छूते हैं तो कभी श्री श्री रविशंकर के। मतलब नीतीश कुमार बुरी तरह से डरे हुए हैं। जिस तरह से गृह मंत्री अमित शाह ने एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कह दिया कि बिहार का मुख्यमंत्री कौन होगा यह तो बीजेपी का संसदीय बोर्ड तय करेगा। उसके बाद तो बिहार के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी यही बात बोल दी। क्योंकि जदयू की सीटें बीजेपी से ज्यादा नहीं आने जा रही हैं। तो समझा जा सकता है कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा रहा है। ऐसे में नीतीश की क्या मज़बूरी है कि वह बेबस मुख्यमंत्री की तरह आरजेडी के खिलाफ बोल रहे हैं। कभी वह तेजस्वी यादव को कह देते हैं कि तुम बच्चे हो तुम्हें कुछ पता है।
2005 से पहले दिन छिपने के बाद लोग घरों से नहीं निकल पाते थे। कभी राबड़ी देवी के खिलाफ बोलने लगते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राबड़ी के खिलाफ जिस लहजे में बोले उसके बाद तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार को नसीहत देनी पड़ी कि राबड़ी देवी संयुक्त बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री रही हैं। रिश्ते और उम्र दोनों में वह नीतीश जी से बड़ी हैं। उन्होंने नीतीश कुमार को अस्वस्थ करार दे दिया।
नीतीश कुमार ने जिस तरह से बीजेपी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। उससे तो लग रहा है कि नीतीश को किसी वजह से बहुत डरा रखा है। जेपी के चेले क्या जेल जाने से डर रहे हैं। क्या नीतीश कुमार लालू प्रसाद की दुर्दशा देखकर घबरा रहे हैं ?
ऐसे में प्रश्न उठता है कि दलित महादलित और मुस्लिम वोट बैंक नीतीश के खाते में जाएगा ? या फिर आरजेडी की और खिसक लेगा। या फिर हिन्दू मुस्लिम का माहौल बनाकर बीजेपी इस वोट बैंक को ले जाएगी ? नीतीश कुमार की बेबसी से यह तो समझ में आ रहा है कि अब जदयू के टूटने के दिन आ गए हैं। ऐसा कहा जाने लगा है कि नीतीश के बाद जदयू के कुछ नेता आरजेडी तो कुछ बीजेपी में चले जाएंगे। यदि निशांत राजनीति में आ जाते हैं फिर भी नीतीश का डर जाने वाला नहीं है। तो क्या नीतीश कुमार की स्थिति बसपा मुखिया मायावती की तरह होने वाली है ?