आईसीएआर–केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई), करनाल द्वारा कर्नाटक सरकार के वाटरशेड विकास अधिकारियों के लिए छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

करनाल, (विसु)। आईसीएआर–केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई), करनाल द्वारा आज कर्नाटक सरकार के वाटरशेड विकास अधिकारियों के लिए छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। “समस्या युक्त मृदाओं का सुधार एवं प्रबंधन” विषय पर आधारित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 7 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य मृदा क्षरण से जुड़ी चुनौतियों के समाधान हेतु तकनीकी क्षमताओं को सुदृढ़ करना है। इस प्रशिक्षण में कर्नाटक के आठ जिलों—बेंगलुरु, बेलगावी, बागलकोट, चित्रदुर्ग, धारवाड़, कोप्पल, विजयपुरा एवं मैसूरु—से वाटरशेड विकास विभाग के कुल 30 अधिकारी (संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, सहायक निदेशक, एवं कृषि अधिकारी) भाग ले रहे हैं।प्रशिक्षण के दौरान सोडिक, लवणीय एवं जलभरित मृदाओं की पहचान, विशेषताएं एवं प्रबंधन, निम्न गुणवत्ता वाले सिंचाई जल का उपयोग, भूजल पुनर्भरण, एवं तटीय लवणता प्रबंधन जैसे विविध विषयों को सम्मिलित किया जाएगा।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता आईसीएआर–सीएसएसआरआई के निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार यादव ने की, जो इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी रहे। अपने संबोधन में डॉ. यादव ने 1969 में संस्थान की स्थापना के बाद से देशभर में 22.2 लाख हेक्टेयर सोडिक भूमि के सुधार में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने संस्थान के तीन प्रमुख नवाचारों को विशेष रूप से रेखांकित किया जो टिकाऊ कृषि के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुए हैं: सोडिक भूमि के सुधार हेतु जिप्सम तकनीक, (ख) जलभरित लवणीय मृदाओं के प्रबंधन हेतु उप सतही जल निकासी (SSD), एवं लवणता सहनशील फसल किस्मों का विकास। इन नवाचारों ने लवण प्रभावित क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता एवं ग्रामीण आजीविका को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. सुरेश कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं मृदा अपरदन तथा रासायनिक क्षरण की चुनौतियों से निपटने में वाटरशेड विकास अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने ज्ञान विनिमय, व्यवहारिक प्रशिक्षण, एवं कौशल विकास के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराने की संस्थान की प्रतिबद्धता को दोहराया।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ संकाय सदस्य एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. राज कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. कैलाश प्रजापत, प्रशिक्षण सह-समन्वयक एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. आर.के. फगोडिया की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. कैलाश प्रजापत द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक इंजीनियर अशलम पठान द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने कार्यक्रम के आयोजन में योगदान देने वाले सभी सहयोगियों का आभार प्रकट किया।आईसीएआर–सीएसएसआरआई की यह पहल क्षमता निर्माण, सतत मृदा प्रबंधन एवं भारत के विभिन्न भागों में क्षतिग्रस्त परिदृश्यों की पुनर्स्थापना के लिए कार्यरत क्षेत्रीय अधिकारियों के सशक्तिकरण के प्रति उसकी सतत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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