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क्या है COP28 और क्यों हैं महत्वपूर्ण ?

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30 नवंबर से 12 दिसंबर तक एक्सपो सिटी, दुबई में जा रहा है आयोजित 

COP28,UAE
COP28,UAE

2023 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या यूएनएफसीसीसी की पार्टियों के सम्मेलन को COP28 के रूप में जाना जाता है। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक एक्सपो सिटी, दुबई में आयोजित किया जा रहा है। बता दें कि यह सम्मेलन 1992 में पहले संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते के बाद से हर साल आयोजित किया जाता है। जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के लिए दुनियाभर के नेता दुबई में हो रहे संयुक्त राष्ट्र के एक बड़े सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।

COP28 जलवायु को लेकर यह संयुक्त राष्ट्र की 28वीं सालाना बैठक है। इस सालाना बैठक में सरकारें इस बात पर चर्चा करती हैं कि जलवायु परिवर्तन को रोकने और भविष्य में इससे निपटने के लिए क्या तैयारियां की जाएं।

इस बार यह सम्मेलन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दुबई में 30 नवंबर से लेकर 12 दिसंबर, 2023 तक आयोजित किया जा रहा है।

COP28 का क्या है मतलब?

World Government Summit

सीओपी का फुल फॉर्म कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज है जिसका अर्थ पर्यावरण का सम्मेलन, और सीओपी शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) पर हस्ताक्षर करना हैं। यहां पार्टीज़ का मतलब उन देशों से है, जिन्होंने साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

यूएई दुनिया के 10 शीर्ष तेल उत्पादकों में शामिल है. उसने अपनी सरकारी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुल्तान अल-ज़ुबैर को COP28 का अध्यक्ष नियुक्त किया है। गैस और कोयले की ही तरह तेल भी एक जीवाश्म ईंधन है. ये सभी ईंधन जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार हैं, क्योंकि ऊर्जा की ज़रूरतों के लिए इन्हें जलाने पर पृथ्वी को गर्म करने वाली कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसें पैदा होती हैं। अल-ज़ुबैर की तेल कंपनी जल्द तेल उत्पादन बढ़ाने की योजना भी बना रही है।

बीबीसी को लीक हुए कुछ दस्तावेज़ों से ये संकेत भी मिले हैं कि यूएई ने इस सम्मेलन की मेज़बानी के ज़रिये तेल और गैस को लेकर नए सौदे करने की योजना बनाई है। अल-ज़ुबैर का कहना था कि तेल और गैस इंडस्ट्री से नाता होने के चलते उनका देश (जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए) क़दम उठाने के लिए विशेष तौर पर सक्षम है।

उनका कहना है कि रीन्यूएबल एनर्जी कंपनी मसदार का चेयरमैन होने के नाते उन्होंने पवन और सौर ऊर्जा जैसी स्वच्छ ऊर्जा की तकनीक के विस्तार पर भी काम किया है।

COP28 क्यों है अहम?

Climate at COP28

ऐसी उम्मीद है कि COP28 में पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के दीर्घकालिक लक्ष्य को बरक़रार रखा जाएगा. 2015 में पेरिस में हुए समझौते में क़रीब 200 देशों में इसे लेकर सहमति बनी थी।

संयुक्त राष्ट्र में जलवायु पर नज़र रखने वाली संस्था, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अनुसार, 1.5 डिग्री सेल्सियस वह अहम लक्ष्य है, जिससे जलवायु परिवर्तन के ख़तरनाक असर को रोका जा सकता है।

इस समय दुनिया का तापमान औद्योगीकरण के दौर से पहले की तुलना में 1.1 या 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. उससे पहले इंसान ने बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन को जलाना शुरू नहीं किया था।

हालांकि, ताज़ा अनुमान बताते हैं कि इस समय दुनिया साल 2100 तक 2.4 से 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म होने की दिशा में बढ़ रही है, हालांकि, अभी पक्के तौर पर सही आंकड़े नहीं दिए जा सकते। इसी कारण, संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के अंदर बनाए रखने की समयसीमा और कम होती जा रही है।

इस सम्मेलन में 200 से ज़्यादा मुल्कों के नेता आमंत्रित हैं.

200 Countries

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसमें सम्मिलित नहीं होंगे, लेकिन दोनों देश अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं। ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक इसमें हिस्सा लेंगे. बकिंघम पैलेस ने पुष्टि की है कि किंग चार्ल्स भी दुबई आएंगे. वह एक दिसंबर को संबोधन देंगे.

पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्थाएं, मानवाधिकार समूह, थिंक टैंक, कारोबारी आदि भी इसमें हिस्सा लेंगे। 2022 में हुए कॉप 27 में जीवाश्म ईंधन से जुड़े कई लोगों ने भी हिस्सा लिया था।

जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए 27वें सम्मेलन में एक ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड बनाने पर सहमति बनी थी, जिसके तहत अमीर देशों को जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे ग़रीब देशों को फ़ंड देना था।

लेकिन ऐसा कैसे किया जाएगा, इसे लेकर अब तक कोई स्पष्टता नहीं बनी है। उदाहरण के लिए अमेरिका ने अपने यहां हुए ऐतिहासिक ग्रीनहाउस उत्सर्जन के लिए किसी तरह की रकम देने से इनकार कर दिया था।

2009 में विकसित देशों ने 2020 तक हर साल विकासशील देशों को 100 अरब डॉलर की मदद देने की प्रतिबद्धता जताई थी, ताकि वे अपने यहां उत्सर्जन घटा सकें और जलवायु परिवर्तन के लिए ख़ुद को तैयार कर सकें. लेकिन 2020 में ऐसा नहीं हो सका, ऐसे में उम्मीद है कि 2023 से यह हो पाएगा।

COP28 क्या है और यह क्यों है महत्वपूर्ण?

COP28, UAE

2023 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (UNFCCC) संगठनों की बैठक को COP28 नाम दिया गया। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक दुबई एक्सपो सिटी में आयोजित किया जा रहा है। बता दें कि यह सम्मेलन 1992 में पहले संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते के बाद से हर साल आयोजित किया जाता है। दुनिया भर के नेता संयुक्त राष्ट्र के एक प्रमुख सम्मेलन में भाग लेते हैं।

हम जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के लिए दुबई में आयोजित किया जा रहा हैं। COP28 यह संयुक्त राष्ट्र का 28वां वार्षिक जलवायु सम्मेलन है। इस वार्षिक बैठक में सरकारें चर्चा करती हैं कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन को कैसे रोका जाए और उस पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए। यह सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 के बीच दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित किया जा रहा है।

क्यों है महत्वपूर्ण COP28?

COP28COP28 संयुक्त राष्ट्र की जलवायु के मुद्दे पर 28 वीं बैठक है। यह हर साल होता है और जलवायु परिवर्तन पर दुनिया का एकमात्र बहुपक्षीय निर्णय लेने वाला मंच है, जिसमें दुनिया के हर देश की लगभग पूर्ण सदस्यता है। इसलिए यह हम सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं। COP28 पृथ्वी के तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लम्बे समय तक लक्ष्य को बनाए रखेगा।

2015 में पेरिस में हुए समझौते में लगभग 200 देशों ने इस पर सहमति जताई थी। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु निगरानी संस्था, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अनुसार, 1.5 डिग्री सेल्सियस एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है जिससे जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं। इण्डस्ट्रिअलिजेसन के दौर से पहले की तुलना में आज की दुनिया की अगर हम तापमान की तुलना  करे तो 1.1 या 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। इससे

पहले इंसानों ने बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) जलाना शुरू नहीं किया था. हालाँकि, नवीनतम अनुमान बताते हैं कि दुनिया अभी के दुनिया में वर्ष 2100 तक 2.4 से 2.7 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ने की ओर बढ़ रही है, हालाँकि, सटीक आंकड़े अभी तक निश्चितता के साथ नहीं दिए जा सकते हैं।

इस कारण से, संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रखने की समय सीमा कम होती जा रही है। इस सम्मेलन में 200 से अधिक देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसमें शामिल नहीं होंगे, लेकिन दोनों देश अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं। इसमें ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक हिस्सा लेंगे. बकिंघम पैलेस ने पुष्टि की है कि किंग चार्ल्स भी दुबई का दौरा करेंगे। पर्यावरण संगठन, मानवाधिकार समूह, थिंक टैंक, व्यवसायी आदि भाग ले रहें हैं।

जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) में रुचि रखने वाले कई लोग 2022 में भी सीओपी 27वें में भाग लिया था। 27वें जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ने “नुकसान और क्षति” निधि बनाने का निर्णय लिया था, और अमीर देश इस निधि में धन का योगदान देंगे। गरीब देश जलवायु परिवर्तन का असर झेल रहे हैं. 2009 में, विकासशील देशों ने विकासशील देशों को 2020 तक 100 बिलियन डॉलर की वार्षिक सहायता प्रदान करने का वादा किया था ताकि वे प्रचार को कम कर सकें और जलवायु परिवर्तन के लिए तैयार हो सकें। लेकिन 2020 में ऐसा नहीं किया जा सका इसलिए 2023 से इसके किये जाने की उम्मीद है।