चरण सिंह
परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बना दिया है। दरअसल अरविंद केजरीवाल ने सभी विधायकों से अलग अलग बात की थी। मतलब अरविंद केजरीवाल ने सभी को अपना निर्णय सुना दिया होगा। आतिशी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए खुद अरविंद केजरीवाल ने ही पेश किया। मतलब अरविंद केजरीवाल आतिशी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। राजनीति के जानकार उसी दिन समझ गये थे जिस दिन अरविंद केजरीवाल ने स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के लिए आतिशी का नाम लिखकर पत्र लिखा था।
दरअसल अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद सरकार की ओर से आतिशी ने जमकर मोर्चा लिया। अरविंद केजरीवाल के डिफेंस में उन्होंने पूरी भाजपा और एलजी वीके सक्सेना को खुलकर जवाब दिये। क्योंकि आम आदमी पार्टी ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की थी तो उन्हें मनीष सिसोदिया की अनुपस्थिति में शिक्षा विभाग दिया गया। आतिशी ने मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल की कमी लोगों को खलने नहीं दी। दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर वह लगी रहीं। जब केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह तीनों जेल के बंद थे तो वह आतिशी ही थी जो बीजेपी और एलजी से मोर्चा ले रही थीं। पार्टी को बांधकर रख रही थीं। विधायकों में विश्वास जमाए हुए थीं। आतिशी के कुशल नेतृत्व के चलते ही आम आदमी पार्टी नहीं टूटीं। आम आदमी पार्टी के विधायक अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए।
इसमें दो राय नहीं कि अरविंद केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे पर परिवारवाद का आरोप उन्हें सता रहा था। केजरीवाल के लिए मौजूदा हालत में फिर से सरकार बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने पर बीजेपी के परिवारवाद को लेकर हावी होने का अंदेशा था। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के विधायकों को बीजेपी के नेता जरूर उकसाते। ऐसे में आम आदमी पार्टी में बगावत होने का अंदेशा भी था। यही सब वजह रही कि केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने का मन बनाया। आतिशी अरविंद केजरीवाल की सबसे विश्वसनीय नेता मानी जाती हैं। आज की तारीख में वह मनीष सिसोदिया औेर संजय सिंह से भी ज्यादा विश्वास आतिशी पर करते हैं। हां यदि स्वाति मालीवाल के अरविंद केजरीवाल से अच्छे संबंध होते तो शायद उनका नाम भी मुख्यमंत्री की दौड़ में आ जाता। आतिशी का मुख्यमंत्री बनने का एक बड़ा कारण यह भी है कि संजय सिंह और मनीष सिसोदिया की स्थिति अरविंद केजरीवाल की ही तरह आरोपी हैं। जिसका फायदा आतिशी को मिला है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल की दिल्ली को फिर से फतह करने की क्या रणनीति होगी ? ऐसे में यह कहा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल का प्रयास होगा कि वह बीजेपी पर उन्हें फंसाने का हमला बोलकर लोगों की सहानुभूति बटोर लें।